यह कहानी एक छोटे से गांव की है जहाँ पानी की चोरी से समस्या बढ़ती है। किसान रामू, दुकानदार मोहन, राजा और गांव के लोग मिलकर मिलजुल कर पानी बचाने और सही वितरण के लिए उपाय करते हैं। जानिए कैसे एकता और सहयोग से गांव में खुशहाली लौटती है।
सीन 1: गांव का परिचय
सूरज की पहली किरणें पहाड़ों के पीछे से आ रही हैं। नीला आसमान धीरे-धीरे सुनहरे रंग में बदलता है। एक छोटा-सा गांव, जहां मिट्टी के घर हैं ।
पक्षियों की चहचहाहट के साथ गांव की सुबह शुरू हो रही है। महिलाएं सिर पर बर्तन लिए कुएं की ओर बढ़ रही हैं।
एक पुराना कुआं — जिसके चारों ओर पीतल के, प्लास्टिक के और स्टील के बर्तन कतार में रखे हुए हैं। हर कोई अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा है। कुएं के पास एक पत्थर पर लिखा है — "पानी सबका है, बचाकर रखना है।"
Narrator:
“ये कहानी है उस गांव की... जहाँ धरती सूखी थी, लेकिन इंसानियत हरी-भरी थी। लेकिन गांव में पानी की समस्या बरसों से थी। गांव केे सभी लोग एक ही कुआं से पानी भरते थे।”
दृश्य निर्देश (Animation Notes):
- धीरे-धीरे कैमरा गांव के ऊपर से उड़ता हुआ कुएं तक पहुँचता है
- Background music: हल्की बांसुरी और पंछियों की आवाज
संवादों की झलक:
महिला 1: “कमर तो टूट जाती है रोज़ इतने भारी बर्तन भरते-भरते।”
महिला 2: “लेकिन क्या करें बहन, यही तो एकमात्र कुआं है! मजबूरी में इसी से पानी भरना पड़ता है ।"
बुजुर्ग (हल्के हँसी में): “इस कुएं ने हमें सिखाया है – एक-एक बूंद की कीमत क्या होती है।”
सीन का अंत:
रामू नामक किसान, खेत की ओर जाता हुआ नजर आता है — सिर पर फावड़ा, आँखों में चिंता। कैमरा धीरे-धीरे रामू का पीछा करते हुए अगले सीन की ओर बढ़ता है।
सीन 2: रामू का संघर्ष
स्थान: खेत – सूखी मिट्टी, तपती धूप, घास तक मुरझाई हुई।
वर्णन:
गांव से थोड़ी दूर, रामू अपने छोटे से खेत में खड़ा है। माथे पर पसीना, कंधे पर फावड़ा। उसकी आँखें सूखी जमीन को देख रही हैं, जैसे कोई पिता अपने बीमार बच्चे को देख रहा हो। दूर-दूर तक खेतों में दरारें पड़ी हैं, कुछ पौधे झुके हुए हैं, कुछ झुलस चुके हैं।
रामू (आह भरते हुए):
“इस बार तो आसमान सेेे एक भी बूंद बारिश नहीं हुई.. ऊपर से कुएं का पानी भी कम हो गया। ये खेती कैसे बचेगी भगवान? फसल कैसे उपजेगी”
तभी पीछे से रामू की पत्नी की आवाज आती है :
पत्नी: “घर में पानी खत्म हो गया है। कुछ ले आओ कुएं से… बच्चा भी प्यासा है।”
रामू (धीरे से सिर हिलाता है):
“ठीक है, देखता हूँ... अगर थोड़ा भी बचा हो…”
वर्णन:
रामू एक खाली बाल्टी उठाता है और थके कंधों से कुएं की ओर चल पड़ता है।
बैकग्राउंड में संगीत थोड़ा भावुक हो जाता है।
दृश्य निर्देश (Animation Notes):
- मिट्टी में दरारें दिखाना – सूखे का प्रतीक
- रामू का चेहरा क्लोज़अप में – चिंता और थकान साफ दिखाई दे
- पत्नी की आवाज़ दूर से आती है, जिससे घर और खेत की दूरी का अहसास हो
सीन का अंत:
कैमरा रामू को कुएं की दिशा में जाते हुए दिखाता है, और धीरे-धीरे फेड आउट होता है।
सीन 3: लालाजी की योजना
स्थान: लालाजी की किराने की दुकान — बाहर चहल-पहल, लेकिन भीतर गहरी चालबाजी।
वर्णन:
गांव का दुकानदार लालाजी, एक मोटा, चालाक और खुदगर्ज़ आदमी, अपनी दुकान के अंदर बैठा है। बाहर गर्मी बढ़ती जा रही है। लोग दुकान में नमक, तेल और साबुन लेने आते हैं, पर उनकी बातचीत का विषय एक ही है — पानी की कमी।
लालाजी चुपचाप सब सुनता है, लेकिन उसकी आंखों में चिंता नहीं, लालच चमकता है। जैसे ही ग्राहक जाते हैं, वह धीरे से दुकान के पीछे के दरवाज़े से अंदर कमरे में जाता है। वहां एक आधा भरा हुआ बड़ा प्लास्टिक का टैंक रखा है।
लालाजी (धीमे स्वर में):
“गांव वालों को प्यास लगेगी… और मैं बनूँगा राजा। जब कुआं सूख जाएगा, तब ये पानी सोने केेेे भाव में बिकेगा।”
नौकर चिंतित होकर:
“लेकिन साब, कुएं से इतना पानी निकालोगे तो बाकी गांव वाले क्या करेंगे?”
लालाजी (मुँह बनाकर):
“तू अपने काम से काम रख! मैं जो कर रहा हूँ, वो ‘व्यापार’ है। और व्यापार में दया नहीं, दाम चलते हैं।”
वह दुकान की पिछली दीवार में लगे एक गुप्त पाइप को चालू करता है — यह पाइप सीधे गांव के कुएं से जुड़ा है। मोटर की हल्की आवाज़ आती है और पानी धीरे-धीरे उसके टैंक में भरने लगता है।
वर्णन:
लालाजी अपने टैंक की ओर देखता है और हँसता है — एक ऐसी हँसी जिसमें स्वार्थ छुपा है। उसकी आंखें लालच से भर जाती हैं। उसी समय, बाहर से एक बुजुर्ग की आवाज आती है:
बुजुर्ग: “पानी अब बहुत कम है... सुबह कुएं में बस थोड़ी ही बची थी।”
लालाजी चुपचाप खिड़की से झांकता है, फिर धीरे से पर्दा गिरा देता है।
दृश्य निर्देश (Animation Notes):
- टैंक को भरते हुए दिखाना — धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ रहा है
- मोहन की आँखों में लालच का क्लोज़अप
- नौकर की झिझक, लेकिन लालाजी का आदेशात्मक रवैया
- बैकग्राउंड संगीत रहस्यमय और थोड़ी डरावनी टोन में
सीन का अंत:
लालाजी टैंक के पास खड़ा होता है, और कैमरा उसके ऊपर से घूमता हुआ दुकान की छत से निकल कर गांव की ओर बढ़ता है — जहां लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। यह दृश्य विरोधाभास को दिखाता है – एक ओर लालच, दूसरी ओर संघर्ष।
सीन 4: पानी की किल्लत
स्थान: गांव का सार्वजनिक कुआं।
वर्णन:
सुबह का समय है, लेकिन माहौल में ताजगी नहीं, बेचैनी है। गांव की महिलाएं, पुरुष, बच्चे – सभी अपनी बाल्टियां, घड़े और लोटे लेकर कुएं के चारों ओर जमा हैं। चेहरे पर पसीना और उम्मीद दोनों दिख रहे हैं। लेकिन जब एक महिला बाल्टी डालती है, तो सिर्फ कीचड़ निकलता है।
भीड़ में खुसर-पुसर शुरू हो जाती है। बुजुर्ग चिंतित हैं, महिलाएं और गांव के सभी लोग परेशान हो गए हैं।
महिला 1 (घबराकर):
आज तो बाल्टी में एक मग भी पानी नहीं आया ।
पुरुष 1 (गुस्से में):
“ऐसा कैसे हो सकता है? कल तो कुआंं आधा भरा हुआ था…रात भर मेंं सारा पानी कैसे सुख गया? "
बुजुर्ग (संयमित लेकिन गंभीर स्वर में):
“बात कुछ ठीक नहीं लगती बेटा… कुआं ऐसे अचानक नहीं सूखता।”
वर्णन:
लोग कुएं के अंदर झांकते हैं — सिर्फ कीचड़ और गीली दीवारें। कुछ लोग बाल्टी बार-बार डालते हैं, लेकिन सिर्फ आवाज़ आती है – ‘ठप्!’।
रामू भीड़ में आता है, उसकी बाल्टी खाली है। वह चुपचाप कुएं के पास बैठ जाता है, और मिट्टी की ओर देखता है। अचानक उसकी नजर एक पतली सी पाइप पर जाती है जो कुएं की दीवार से गुजर रही है।
रामू (मन में सोचते हुए):
“ये पाइप… पहले तो कभी नहीं देखा … क्या ये कुएं से पानी निकाल रहा है?”
वर्णन:
उसके माथे पर चिंता और शक दोनों उभरते हैं। भीड़ में अब आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि ‘अब गांव छोड़ना पड़ेगा’, ‘राजा से शिकायत करनी चाहिए’, या ‘कोई चुपके से पानी चोरी कर रहा है।’
संवादों की झलक:
महिला: “अगर पानी नहीं मिलेगा तो , तो खाना कैसे बनेगा?”
पुरुष: “अगर यही हाल रहा तो हमें पास के गांव से जाकर पानी लाना पड़ेगा "
बुजुर्ग: “नहीं! पहले पता लगाओ… कोई पानी चोरी कर रहा है क्या?”
सीन का अंत:
सीन 5: रामू की खोजबीन
स्थान: गांव का कुआं और लालाजी की दुकान के आसपास का क्षेत्र।
वर्णन:
रामू अपने मन में उठ रहे सवालों से परेशान है। वह तय करता है कि इस पानी की चोरी का सच पता लगाएगा। शाम के समय, जब गांव में थोड़ा अंधेरा छाने लगता है, तब रामू छुपकर कुएं के पास आता है। आसमान में तारे टिमटमा रहे हैं।
वह कुएं की दीवार के पास झुकता है और पाइप को ध्यान से देखता है। पानी की चोरी की आशंका और मजबूत होती है। तभी दूर से लालाजी की दुकान की ओर से हल्की रोशनी आती है। रामू वहां से आने वाली आवाज़ें सुनने की कोशिश करता है।
रामू (धीमी आवाज़ में):
“यह क्या हो रहा है? क्या लालाजी सच में पानी चुरा रहा है?”
रामू छुपकर लालाजी की दुकान की ओर बढ़ता है। दुकान के पीछे एक गुप्त रास्ता है, वहां से आवाज़ें आ रही हैं। रामू करीब जाकर देखता है कि लालाजी एक बड़ा टैंक भर रहा है, जो कुएं से जुड़ा हुआ है।
लालाजी (हँसते हुए):
“जल्द ही ये पानी मेरा होगा, और मैं सबका मालिक!”
रामू चुपचाप वापस हट जाता है, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा है, लेकिन वह ठान चुका है कि इस अनैतिक काम को सबके सामने लाएगा।
सीन का अंत:
रामू गांव के बीचों-बीच आता है, जहां सभी लोग पानी की कमी से परेशान हैं। वह सभी को इकट्ठा करता है, हाथ उठाकर कहता है —
रामू (जोश से):
“मित्रों, मैं सच जानता हूँ। कोई हमारे पानी को चोरी कर रहा है। हमें मिलकर इसका विरोध करना होगा। और उस चोर को पकड़ना होगा।”
सीन 6: गांव वालों की बैठक और समाधान की शुरुआत
स्थान: गांव का सामूहिक सभा स्थल — पेड़ के तने पर बना चबूतरा और उसके आसपास बैठे लोग मुखिया जी पेड़ के नीचे चबूतरा पर बैठे हैं
वर्णन:
गांव के सभी लोग — किसान, दुकानदार, बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे — एकत्रित हैं। हवा में चिंता के साथ-साथ उम्मीद भी झलक रही है। रामू मंच पर खड़ा है, उसका चेहरा गंभीर लेकिन दृढ़ संकल्प से भरा हुआ।
रामू (जोश से):
“भाइयों और बहनों, हमारे पानी की चोरी हो रही है। मैं कल रात इस सच को जान पाया हूँ। अब हमें मिलकर इसका समाधान निकालना होगा।”
बुजुर्ग (धीरे से):
“रामू बेटा, सही कहा। अब वक्त है एकजुट होने का। अगर हम साथ नहीं खड़े होंगे, तो पानी और ज्यादा कम हो जाएगा। और हम पानी की बूंद बूंद केेेे लिए तड़पेंगे”
महिला 1 (सहानुभूति दिखाते हुए):
“हम सभी मिलकर पानी बचाने के नियम बनाएंगे और उसकी रक्षा करेंगे।”
आदमी 2 (थोड़ा सोचते हुए):
“और हम सबको पानी की उचित बांटवारा करना होगा, ताकि कोई भी भेदभाव न हो।”
वर्णन:
सभी लोग तालियाँ बजाते हैं, कुछ उत्साह से जयकारे लगाते हैं। धीरे-धीरे गांव में सहयोग और एकता का माहौल बनता है।
दृश्य निर्देश (Animation Notes):
- रामू के नेतृत्व में लोग बातें करते हुए
- बुजुर्ग की गंभीर लेकिन उम्मीद भरी बात
- महिलाओं और बच्चों की भागीदारी दिखाना
- हल्की रोशनी, सकारात्मक माहौल
सीन का अंत:
कैमरा ऊपर उठता है और गांव के ऊपर से, गांव के खेतों और घरों की तरफ जाता है, जहां लोग अब मिलकर पानी बचाने और बाँटने की तैयारी कर रहे हैं।
सीन 7: राजा की भूमिका और सहयोग
स्थान: राजा का महल — भव्य लेकिन शांत, जहां राजा अपने सलाहकारों के साथ बैठा है।
वर्णन:
राजा गंभीर मुद्रा में बैठा है, उसके सामने उसके मंत्री और कुछ विश्वस्त लोग खड़े हैं। उसे गांव की पानी की समस्या के बारे में जानकारी जानकारी दी जा रही है।
मंत्री 1 (विनम्रता से):
“महाराज, गांव में पानी की भारी कमी हो गई है। लोगों चिंता में है और उनके बीच पानी के लिए अनबन भी हो रही है।”
राजा (गंभीर लेकिन सहानुभूतिपूर्ण):
“यह बड़ी समस्या है। हमें तुरंत कदम उठाने होंगे। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने प्रजा की सहायता करें।”
मंत्री 2:
“महाराज, क्या हम जल संरक्षण के लिए नए नियम बना सकते हैं? साथ ही कुओं और तालाबों की मरम्मत कराया जाए।”
राजा:
“सही कहा। मैं गांव वालों को बुलाकर बैठक करूँगा। साथ ही पानी की चोरी रोकने के लिए सख्त निगरानी भी होगी।”
वर्णन:
राजा अपने दरबारियों से योजनाओं पर चर्चा करता है, और एक जिम्मेदार और करुणामय शासक के रूप में सामने आता है।
दृश्य निर्देश (Animation Notes):
- राजा की गंभीर लेकिन सहानुभूतिपूर्ण अभिव्यक्ति
- मंत्रियों के साथ चर्चा के दृश्य
- जल संरक्षण और गांव के विकास के लिए योजना बनाना
सीन का अंत:
राजा दरबार से निकलकर गांव की ओर निकलता है, यह दर्शाने के लिए कि अब बदलाव की शुरुआत हो रही है।
सीन 8: गांव में नया नियम और पानी बचाने के उपाय
स्थान: गांव का सामूहिक सभा स्थल और आसपास के खेत, कुएं।
वर्णन:
राजा गांव में आता है और सभी गांव वालों को एकत्रित करता है। वह मिलकर बने नियमों को समझाता है। गांव वाले ध्यान से सुन रहे हैं, बच्चे उत्सुक हैं।
राजा (स्पष्ट और सख्त):
“पानी की बचत हमारे भविष्य की कुंजी है। अब से हर कोई पानी का उचित उपयोग करेगा। कुओं और तालाबों की देखभाल सबका कर्तव्य होगा। चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
रामू (सहमत होकर):
“हम भी गांव में जल संरक्षण के लिए नियमित साफ-सफाई और पानी के उचित वितरण में मदद करेंगे।”
महिला 1 (खुशी से):
“हम सभी घरों में पानी बचाने के तरीके अपनाएंगे, जैसे बाल्टी भरना और जरूरत से ज्यादा पानी न बरबाद करना।”
सीन 9: दुकानदार को सजा और गांव में न्याय की स्थापना
वर्णन:
रामू और अन्य किसान उस दुकानदार की शिकायत राजा से करते हैं जिसने चोरी से कुएं का पानी निकाल कर अपनी दुकान में भरवाया था।
रामू (राजा से):
“महाराज, जब हम प्यास से जूझ रहे थे, तब लालजी (दुकानदार) चोरी-छिपे रात में पानी भरवाते थे। हमें इसका पता बाद में चला।”
राजा (गंभीरता से):
“लालजी, क्या तुमने सच में गांव के कुएं का पानी अपनी दुकान के लिए चुपके से निकाला?”
लालाजी (झुके सिर से):
“महाराज… माफ कीजिए। गलती हो गई। मैंने सोचा किसी को पता नहीं चलेगा। लेकिन अब मुझे अपनी भूल का पछतावा है।”
राजा (निर्णयात्मक स्वर में):
“गांव की संपत्ति सभी की होती है। जब तुमने संकट के समय स्वार्थ किया, तो यह निंदनीय है। तुम्हें दंड मिलेगा — अगले एक महीने तक तुम गांव के कुओं की सफाई करोगे और हर घर में पानी पहुँचाने में मदद करोगे।”
गांव वाले (सहमति में):
“सही निर्णय है, महाराज!”
वर्णन:
लालाजी अपने कर्मों पर शर्मिंदा होता है लेकिन वह सजा को स्वीकार करता है। वह अपने कर्मों की भरपाई करने के लिए मेहनत करता है। यह दृश्य गांव में न्याय और सुधार की भावना को दर्शाता है।
दृश्य निर्देश (Animation Notes):
- राजा का गंभीर निर्णयात्मक भाव
- दुकानदार का शर्मिंदा चेहरा
- गांव वाले न्याय के फैसले से संतुष्ट
- आगे के सीन में दुकानदार पानी ढोता और कुएं की सफाई करता हुआ दिखाया जा सकता है
सीन का अंत:
गांव में अब यह संदेश फैलता है कि कोई भी गलत कार्य करे, तो न्याय अवश्य मिलेगा — और सुधार की राह सबके लिए खुली है।
सीन 10: पानी की बहाली और गांव का खुशहाल जीवन
स्थान: गांव के खेत, कुएं, तालाब और घर।
वर्णन:
गांव में अब हर जगह पानी की बहार है। खेतों में हरियाली छाई है, बच्चे खेल रहे हैं, महिलाएं घर के काम में व्यस्त हैं और किसान खेतों में हल चलाते दिख रहे हैं।
रामू और लालाजी एक साथ कुएं के पास खड़े हैं, मुस्कुरा रहे हैं। दोनों के बीच पहले की दूरियां खत्म हो गई हैं।
रामू (मुस्कुराते हुए):
“देखो लालाजी, जब हम साथ आए, तो पानी भी वापस आ गया। गांव की खुशहाली लौट आई।”
लालाजी (हाथ मिलाते हुए):
“हाँ, रामू, अब हम सब मिलकर गांव के लिए काम करेंगे। ईमानदारी और सहयोग ही हमारी ताकत है।”
दृश्य निर्देश (Animation Notes):
- हरा-भरा गांव, फूलों से सजा हुआ
- खुशहाल गांव वाले
- रामू और लालाजी की दोस्ती का प्रतीकात्मक दृश्य
- राजा और गांव वालों का मिलन
- सकारात्मक, उत्साहपूर्ण संगीत
सीन का अंत:
सूरज ढल रहा है, लेकिन गांव की खुशहाली के साथ एक नई सुबह की उम्मीद नजर आ रही है।
