"एक ईमानदार किसान की कहानी जो जंगल में एक जादुई थैला पाता है और उससे गांव की सेवा करता है। एक नैतिक शिक्षा देने वाली नाटकीय कहानी।"
ईमानदार किसान और जादुई थैला
समय: 15-20 मिनट
शैली: नाटकीय, नैतिक शिक्षा पर आधारित
सीन 1: गांव का दृश्य
(गांव की झोपड़ियां, धूल भरी सड़कें, एक किसान अपने छोटे से घर के बाहर)
नरेटर:
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में रामु नाम का ईमानदार किसान रहता था। वह रोज जंगल से लकड़ियां काटकर बाजार में बेचता और उसी से अपना घर चलाता था। लेकिन उसकी स्थिति बहुत दयनीय थी।
(रामु अपनी पत्नी के साथ बैठा हुआ)
रामु: (थका हुआ) यह जिंदगी बहुत कठिन हो गई है, लता। फसल भी अच्छी नहीं हो रही और लकड़ियों से ज्यादा आमदनी भी नहीं होती।
लता: (सहानुभूति से) हां, पर हमें मेहनत करते रहना होगा। भगवान हमारी मदद जरूर करेंगे।
सीन 2: जंगल में लकड़ी काटने का दृश्य
(रामु जंगल में पेड़ काट रहा है)
नरेटर: एक दिन रामु जंगल में लकड़ियां काट रहा था। अचानक, उसे समय का ध्यान नहीं रहता और अंधेरा हो जाता है
रामु: (चिंता से) अरे! मैं तो देर कर बैठा, अब अंधेरे में रास्ता देखना मुश्किल होगा।
(वह धीरे-धीरे घर की ओर चलने लगता है, लेकिन अचानक उसका पैर किसी चीज से टकराता है)
रामु: (हैरान होकर) उफ्फ! यह क्या था?
(वह नीचे झुककर देखता है तो हल्की-हल्की चमकती हुई चीज नजर आती है)
नरेटर: रामु ने गौर से देखा तो वह एक पुराना सा थैला था, जो हल्की रोशनी फैला रहा था।
(रामु थैला उठाकर उसे खोलता है और अंदर सुनहरे सिक्के चमकते हैं)
रामु: (अविश्वास से) यह तो जादुई थैला लगता है! पर क्या यह सच में मेरा हो सकता है?
जादुई थैला: यह थैला केवल दूसरों की मदद करने के लिए बना है। इसका दुरुपयोग मत करना।
रामु: (हंसते हुए) मैं इसे सिर्फ अच्छे कार्यों के लिए ही इस्तेमाल करूंगा!
सीन 3: गांव में समृद्धि
(रामु गांव लौटता है और धीरे-धीरे गांव के गरीब लोगों की मदद करने लगता है)
गांववाले: (खुशी से) रामु भैया, आपने हमारी कितनी मदद की है! अब हमारी गरीबी दूर हो गई।
(गांव के मुखिया को यह सब पता चलता है)
मुखिया: (लालच से) रामु, तुम यह जादुई थैला मुझे दे दो। मैं इसे अच्छे कामों में इस्तेमाल करूंगा।
रामु: (संकोच से) यह थैला सिर्फ अच्छे कार्यों के लिए बना है। मैं इसे किसी लालची इंसान को नहीं दे सकता।
सीन 4: रामु की बीमारी और गांववालों की बेरुखी
(रामु बीमार पड़ जाता है, और अब खुद मदद मांगने जाता है)
रामु: (कमजोरी से) भाई, मैं बहुत बीमार हूं… क्या कोई मेरी मदद करेगा?
(गांववाले धीरे-धीरे मुंह मोड़ने लगते हैं)
गांववाले: (मिलकर) हमें भी अपने घर देखने हैं, हम तुम्हारी मदद नहीं कर सकते।
(रामु की पत्नी लता सभी से मदद मांगती है, लेकिन कोई नहीं सुनता)
सीन 5: दोस्त की सच्ची मित्रता
(रामु का बचपन का दोस्त सुरेश आता है)
सुरेश: (चिंता से) रामु, चिंता मत करो। मैं तुम्हारी मदद करूंगा।
रामु: (थैले को सौंपते हुए) यह लो, इस थैले का इस्तेमाल अच्छे लोगों की मदद के लिए करो।
सुरेश: (भावुक होकर) पहले मैं तुम्हारी मदद करूंगा, फिर बाकी लोगों की।
(सुरेश रामु की दवा लाता है, उसकी सेवा करता है और धीरे-धीरे रामु स्वस्थ हो जाता है)
रामु: (मुस्कुराते हुए) सच्चा दोस्त वही होता है जो कठिन समय में साथ खड़ा रहे।
सीन 6: नैतिक शिक्षा
(गांव में फिर से खुशहाली लौटती है, लेकिन गांववाले अपने किए पर शर्मिंदा हैं)
गांववाले: (शर्मिंदा होकर) रामु, हमने तुम्हारे साथ गलत किया। तुमने सबकी मदद की, लेकिन हमने तुम्हें अकेला छोड़ दिया।
रामु: (मुस्कुराते हुए) कोई बात नहीं, सच्ची नेकी बिना बदले की भावना के की जाती है।
मुखिया: (शर्मिंदा होकर) मैंने लालच किया, पर तुमने हमेशा नेक काम किया। मैं वादा करता हूं कि अब मैं भी अच्छे कार्य करूंगा।
नरेटर: इस तरह रामु की ईमानदारी और दयालुता ने पूरे गांव को एक नई सीख दी।
अंत
नरेटर:
सच्ची नेकी वही होती है, जो बिना स्वार्थ किए की जाए। लालच का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है, लेकिन सच्चे दोस्त और नेक इंसान का साथ हमेशा अच्छा फल देता है।
